Saturday, May 31, 2008

राम मिलाई जोड़ी



कुछ दिन पहले मित्र अमिय मोहन और मैंने एक बार फिर ख़्वाजा के दरबार में हाजिरी बजाने का मन बनाया। हम वहां पिछले साल गए थे। जून के ही महीने में। तब मेरे घर दो नन्ही परियों ने जन्म लिया था। ख्वाजा से मैंने दुआ मांगी थी और वादा किया था कि जल्दी ही सजदा करने दोबारा आऊंगा। लेकिन एक साल होने को है, मैं लाख कोशिशों के बाद भी वहां जा नहीं सका हूं। कभी कुछ तो कभी कुछ। हर बार जाने का कार्यक्रम टालना पड़ा। इस बार फ़ैसला किया था कि कार्यक्रम नहीं टालूंगा। अमिय से बात हुई तो वो भी तैयार हो गए। वैसे वो अजमेर जाने के नाम पर हमेशा तैयार रहते हैं। कई बार जा चुके हैं। पिछले साल मैं भी उन्हीं के साथ ही गया था। उसके बाद भी वो एक चक्कर लगा आएं। तय कार्यक्रम के मुताबिक हम लोग रविवार को अजमेर पहुंचने वाले थे. लेकिन उससे पहले गुर्जर आंदोलन शुरू हो गया। घरवाले अजमेर जाने की खबर सुन कर भड़क गए। अमिय मोहन ने भी कहा कि कुछ दिन रुक ही जाते हैं। कार्यक्रम फिर टालना पड़ा और नौ दिन बीत चुके हैं हम दोनों अब भी राजस्थान में अमन का इंतज़ार कर रहे हैं। आखिर हमारा इंतज़ार क्यों बढ़ता जा रहा है? नौ दिन बीतने के बाद भी वहां हिंसा क्यों नहीं थम रही? और क्या कभी इसका हल निकलेगा या नहीं?
दरअसल ये पूरा मसला इतना उलझा हुआ है कि हल निकालने की गारंटी कोई नहीं दे सकता। गुर्जरों ने मांग ही कुछ ऐसी रख दी है कि किसी भी सरकार के लिए किसी नतीजे पर जल्दी पहुंचना मुमकिन नहीं। अगर राज्य सरकार उन्हें अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की सिफारिश करने को तैयार हो जाए तो राजस्थान में एक नया सियासी संकट पैदा होगा। वो सियासी संकट उस श्रेणी में पहले से मौजूद जातियों के विरोध के कारण पैदा होगा। उस सूरत में इसकी भी आशंका है कि उन जातियों और गुर्जरों के बीच कोई झगड़ा ना शुरू हो जाए। इस ख़तरे का अहसास बीजेपी के साथ कांग्रेस को भी है। यही वजह है कि कोई भी सियासी दल गुर्जरों को अनुसूचित जनजाति की श्रेणी में डालने का सीधा वादा नहीं कर रहा।
मांग बड़ी होने के साथ गुर्जर नेतृत्व ने गलती भी की है। फौज छोड़ कर सियासत में कदम रख रहे कर्नल बैंसला अपनी नादानी के कारण अपने ही जाल में उलझ गए हैं। उन्हें अगर अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग पर आंदोलन करना था तो ये आंदोलन शांतिपूर्ण तरीके से होना चाहिये था। लेकिन वो अपने लोगों को काबू में नहीं रख सके। यही नहीं सियासत में दो कदम आगे बढ़ा कर एक कदम पीछे हटाना पड़ता है। कर्नल बैंसला कदम आगे बढ़ाना तो जानते हैं लेकिन वक्त पर पीछे हटाना नहीं जानते। वो भूल गए हैं कि किसी भी रस्सी को एक सीमा तक ही खींचा जा सकता है। उसके बाद जोर देने पर रस्सी टूट जाती है। फिलहाल कर्नल बैंसला रस्सी को उसी हद तक खींचने की कोशिश कर रहे हैं।
यहां एक गलती राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे से भी हुई है। अब बीजेपी को भी वसुंधरा राजे को नेतृत्व सौंपने की गलती का अहसास हो रहा होगा। वसुंधरा राजे किसी भी लिहाज से जनता की सेवक होने की हकदार नहीं। वो निजी स्वार्थों में डूबी एक ऐसी नेता हैं जिन्हें जनता से ज्यादा फैशन और पार्टियों से मोहब्बत है। यही वजह है कि उन्होंने अपने राज्य की पुलिस को जनता से व्यवहार का तरीका नहीं सिखाया। उनके राज में पुलिस इतनी मदहोश है कि वो बात बात पर लोगों पर गोलियों की बौछार कर देती है। चाहे वो गंगानगर में पानी के लिए किसानों का प्रदर्शन हो या फिर अनुसूचित जनजाति का दर्जा मांग रहे गुर्जरों का प्रदर्शन।
ऐसे में अंदाजा लगाया जा सकता है कि जब दोनों ही तरफ से अदूरदर्शी और अविवेकशील नेतृत्व हो तो किसी समस्या का हल निकले भी तो कैसे?

तारीख - ३१-०५-०८

समय - १०.२०

ये लेख यहां भी है....

http://dreamndesire.blogspot.com/2008/05/blog-post_31.html

6 comments:

Rajesh Roshan said...

समरेन्द्र जी, राजे मुख्य्मंत्री कम रानी साहिबा ज्यादा लगती हैं, ये भी कह दु की रान्ही साहिबा समझती हैं तो भी सही ही कहूँगा. और बैंसला के बारे में एक बात, जब कोई पढ़ा लिखा इंसान बुरे चीजो पर अड़ जाए तो तर्क कम कुतर्क ज्यादा करेगा, वही बैंसला जी कर रहे हैं.

एक सुझाव. पैरा बदलने के बाद अगर एक गैप दे दिया जाए तो पाठक को पढने में बड़ी सहूलियत होगी

एक बात और जो दूसरा ब्लॉग है उसमे भी वही कंटेंट हैं फ़िर दो दो ब्लॉग क्यों ??? अगर कुछ खास न हो तो एक में ही लिखा जाए तो शायद पाठक के लिए सहूलियत होगी

समरेंद्र said...

राजेश जी, आपका सुझाव सही है. एक कंटेन्ट हो तो दो ब्लॉग की जरूरत नहीं है. लेकिन कंटेन्ट फिलहाल एक है, आगे अलग होगा. चौखंबा सम सामयिक विषयों के लिए है और मेरे सपने, मेरी तमन्ना... एक निजी डायरी की तरह. मेरे सपने, मेरी तमन्ना को अभी कुछ दिन पहले ही शुरू किया है. उसे अभी तक किसी भी एग्रीगेटर पर रजिस्टर नहीं कर पाया हूं. इसलिए चौखंबा के जरिये उस पर डाले गए लेख को दूसरों तक पहुंचाने की कोशिश कर रहा हूं. जल्दी ही ये समस्या दूर कर लूंगा और उसके बाद कंटेन्ट अलग अलग ही होगा.
धन्यवाद.

Rajesh Roshan said...

ये लीजिये मेरे सपने मेरी तमन्ना ब्लोग्वानी पर अभी से जुड़ गई. मैंने इसे मैथिली जी को भेज दिया है. मुमकिन यह जुड़ गई होगी

समरेंद्र said...

धन्यवाद राजेश भाई. आपके सहयोग से मेरा दूसरा ब्लॉग भी ब्लॉगवाणी पर लिस्ट हो गया है. एक बार फिर धन्यवाद.

Rajesh Roshan said...

समरेंद्र जी आप नही समझ पाएंगे कि मैंने यह क्यों किया??? :) :) वैसे इतना जरुर कह सकता हू कि हमे एक दूसरे की मदद करते रहना चाहिए. यह एक तरीके का कर्ज था जो मैंने उतार दिया

समरेंद्र said...

राजेश भाई, सही में मैं नहीं समझ पाया हूं और कर्ज की बात कह कर आपने मुझे और उलझा दिया.

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