बीजेपी और कांग्रेस में कोई फ़र्क नहीं. बीते समय में हम सबने इन दोनों दलों को हिंसा पर सियासत करते देखा है और हिंसा की सियासत करते भी देखा है. १९८४ में सिखों का नरसंहार और २००२ में गुजरात में मुसलमानों का नरसंहार इसके गवाह हैं. ऐसे दंगों की फ़ेहरिस्त काफी लंबी है और इन दोनों दलों की बेशर्मी का इतिहास भी उतना ही लंबा. एक बार फिर देश के ये दोनों सबसे बड़े दल अपनी उसी चाल और चरित्र का इजहार कर रहे हैं. बैंगलोर और अहमदाबाद बम धमाकों पर सियासी रोटियां सेंकने में जुटे हैं. और इसी कोशिश में एक से बढ़ कर एक विभत्स बयान जारी कर रहे हैं.
शुरुआत बीजेपी से. मनमोहन सिंह के विश्वास प्रस्ताव पर चल रही गंभीर बहस के बीच लोकसभा के पटल पर नोट बिछाने के भद्दे नाटक के बाद अब धमाकों पर उससे भी भद्दे बयान. बीजेपी की तेज तर्रार नेता सुषमा स्वराज की माने तो ये धमाके कांग्रेस ने कराए हैं. विश्वास मत में हुई सांसदों की खरीदो-फ़रोख़्त से ध्यान हटाने के लिए. ये एक बेहद संगीन आरोप है और बिना आधार इस आरोप का कोई मतलब नहीं. अगर सुषमा ने ये बात गंभीरता से... सोच समझ कर और सबूतों के आधार पर कही हैं तो उन्हें वो आधार जनता के बीच पेश करने चाहिये ताकि कांग्रेस का वो घिनौना सच सामने आ सके. अगर सुषमा की बात में दम है तो कांग्रेस के सिर्फ़ एक नेता पर नहीं बल्कि पूरी पार्टी पर देशद्रोह का मुक़दमा चला कर सभी नेताओं को फांसी पर टांग देना चाहिये. लेकिन अगर सुषमा स्वराज ने ये बात बिना सोचे समझे कही है तो वो बेहद खुद ख़तरनाक हैं. उन्हें सियासत से हमेशा के लिए दूर कर देना चाहिये. आजीवन प्रतिबंध लगाया जाना चाहिये, ताकि लोगों को हमेशा याद रहे कि वोट के लिए समाज में ज़हर घोलना एक संगीन जुर्म है और उसे माफ़ नहीं किया जा सकता.
अब बात बीजेपी के एक और नेता नरेंद्र मोदी की. इनके बारे में तो जितना कहा जाए उतना कम है. बीजेपी के ये सबसे तेज चमकते सितारे हैं और इनकी माने तो केंद्रीय खुफ़िया एजेंसी आईबी सही तरीके से जानकारी नहीं देती है. चलिये मान लीजिये कि आईबी निकम्मी है. और आपने ये बात धमाकों का सारा दोष केंद्र पर मढ़ने के इरादे से नहीं कही. लेकिन यहां सवाल उठता है कि आखिर मोदी साहब आप क्या कर रहे थे? आप तो गुजरात के शहंशाह हैं. आपने वहां की सुरक्षा व्यवस्था क्यों नहीं दुरुस्त रखी? आज एनडीटीवी पर एक रिपोर्ट दिखाई गई. राहुल श्रीवास्तव की रिपोर्ट. उसके मुताबिक अगर अहमदाबाद में सभी १६ बमों की सही-सही जानकारी एक घंटे पहले भी दे दी जाती तो भी पुलिस १४ धमाकों को रोक नहीं पाती. अहमदाबाद पुलिस के बम निरोधी दस्ते में ड्राइवर समेत सिर्फ सात कर्मचारी हैं. एक बम को बेकार करने में कम से ४५ मिनट से एक घंटे का वक़्त लगता है. इस लिहाज से देखें तो ये कर्मचारी मिल कर डेढ़-पौने दो घंटे में अधिक से अधिक दो या तीन बम बेकार कर पाते. यही नहीं पूरे गुजरात में पुलिस महकमे के साठ फ़ीसदी पद खाली पड़े हैं. तो मोदी साहब माना आप मुसलमानों की ज़िंदगी दांव पर लगा कर सियासत करने में माहिर हैं, लेकिन हिंदुओं के हितों के लिए ही सही वहां सुरक्षा व्यवस्था तो दुरुस्त रखिये. धमाकों पर बिना आधार ओछी राजनीति तो मत करिये.
अब बात कांग्रेस की. कांग्रेस के एक बड़े नेता हैं श्रीप्रकाश जायसवाल. ये जनता का दुर्भाग्य है कि जायसवाल साहब देश के गृह राज्य मंत्री हैं. इनके बारे में एक बात मशहूर है कि ये किसी भी घटना पर बयान जारी कर सकते हैं, भले ही इन्हें उसके बारे में कोई जानकारी हो या नहीं. लेकिन इस बार तो हमारे गृह राज्य मंत्री जी ने सारी हदें तोड़ दीं. ये पहुंचे एक हवन में शामिल होने के लिए और वहां इन्होंने एक बेतुका बयान जारी कर दिया. श्री श्री १००८ श्रीप्रकाश जायसवाल ने कहा कि इस तरह के हवन होते रहने चाहिये. हवन होते हैं तो हमले नहीं होते. अगर ऐसा है तो जायसवाल साहब को तुरंत मंत्रिमंडल से बर्ख़ास्त कर देना चाहिये. जब भगवान पर ही देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी है तो गृह मंत्रालय की ज़रूरत क्या है?
कुल मिला कर ये कहा जाए कि ये धमाके इन्हीं दोनों पार्टियों बीजेपी और कांग्रेस के दोगलेपन की वजह से हुए हैं तो ग़लत नहीं होगा. देश और राज्यों में लंबे समय इन्हीं दोनों दलों का राज रहा है. समाज को बांटने में और आतंकवाद को बढ़ावा देने में इन्हीं दोनों पार्टियों का हाथ है और ऐसे में कई बार लगता है कि ये देश सच में भगवान भरोसे ही चल रहा है.
शुरुआत बीजेपी से. मनमोहन सिंह के विश्वास प्रस्ताव पर चल रही गंभीर बहस के बीच लोकसभा के पटल पर नोट बिछाने के भद्दे नाटक के बाद अब धमाकों पर उससे भी भद्दे बयान. बीजेपी की तेज तर्रार नेता सुषमा स्वराज की माने तो ये धमाके कांग्रेस ने कराए हैं. विश्वास मत में हुई सांसदों की खरीदो-फ़रोख़्त से ध्यान हटाने के लिए. ये एक बेहद संगीन आरोप है और बिना आधार इस आरोप का कोई मतलब नहीं. अगर सुषमा ने ये बात गंभीरता से... सोच समझ कर और सबूतों के आधार पर कही हैं तो उन्हें वो आधार जनता के बीच पेश करने चाहिये ताकि कांग्रेस का वो घिनौना सच सामने आ सके. अगर सुषमा की बात में दम है तो कांग्रेस के सिर्फ़ एक नेता पर नहीं बल्कि पूरी पार्टी पर देशद्रोह का मुक़दमा चला कर सभी नेताओं को फांसी पर टांग देना चाहिये. लेकिन अगर सुषमा स्वराज ने ये बात बिना सोचे समझे कही है तो वो बेहद खुद ख़तरनाक हैं. उन्हें सियासत से हमेशा के लिए दूर कर देना चाहिये. आजीवन प्रतिबंध लगाया जाना चाहिये, ताकि लोगों को हमेशा याद रहे कि वोट के लिए समाज में ज़हर घोलना एक संगीन जुर्म है और उसे माफ़ नहीं किया जा सकता.
अब बात बीजेपी के एक और नेता नरेंद्र मोदी की. इनके बारे में तो जितना कहा जाए उतना कम है. बीजेपी के ये सबसे तेज चमकते सितारे हैं और इनकी माने तो केंद्रीय खुफ़िया एजेंसी आईबी सही तरीके से जानकारी नहीं देती है. चलिये मान लीजिये कि आईबी निकम्मी है. और आपने ये बात धमाकों का सारा दोष केंद्र पर मढ़ने के इरादे से नहीं कही. लेकिन यहां सवाल उठता है कि आखिर मोदी साहब आप क्या कर रहे थे? आप तो गुजरात के शहंशाह हैं. आपने वहां की सुरक्षा व्यवस्था क्यों नहीं दुरुस्त रखी? आज एनडीटीवी पर एक रिपोर्ट दिखाई गई. राहुल श्रीवास्तव की रिपोर्ट. उसके मुताबिक अगर अहमदाबाद में सभी १६ बमों की सही-सही जानकारी एक घंटे पहले भी दे दी जाती तो भी पुलिस १४ धमाकों को रोक नहीं पाती. अहमदाबाद पुलिस के बम निरोधी दस्ते में ड्राइवर समेत सिर्फ सात कर्मचारी हैं. एक बम को बेकार करने में कम से ४५ मिनट से एक घंटे का वक़्त लगता है. इस लिहाज से देखें तो ये कर्मचारी मिल कर डेढ़-पौने दो घंटे में अधिक से अधिक दो या तीन बम बेकार कर पाते. यही नहीं पूरे गुजरात में पुलिस महकमे के साठ फ़ीसदी पद खाली पड़े हैं. तो मोदी साहब माना आप मुसलमानों की ज़िंदगी दांव पर लगा कर सियासत करने में माहिर हैं, लेकिन हिंदुओं के हितों के लिए ही सही वहां सुरक्षा व्यवस्था तो दुरुस्त रखिये. धमाकों पर बिना आधार ओछी राजनीति तो मत करिये.
अब बात कांग्रेस की. कांग्रेस के एक बड़े नेता हैं श्रीप्रकाश जायसवाल. ये जनता का दुर्भाग्य है कि जायसवाल साहब देश के गृह राज्य मंत्री हैं. इनके बारे में एक बात मशहूर है कि ये किसी भी घटना पर बयान जारी कर सकते हैं, भले ही इन्हें उसके बारे में कोई जानकारी हो या नहीं. लेकिन इस बार तो हमारे गृह राज्य मंत्री जी ने सारी हदें तोड़ दीं. ये पहुंचे एक हवन में शामिल होने के लिए और वहां इन्होंने एक बेतुका बयान जारी कर दिया. श्री श्री १००८ श्रीप्रकाश जायसवाल ने कहा कि इस तरह के हवन होते रहने चाहिये. हवन होते हैं तो हमले नहीं होते. अगर ऐसा है तो जायसवाल साहब को तुरंत मंत्रिमंडल से बर्ख़ास्त कर देना चाहिये. जब भगवान पर ही देश की सुरक्षा की जिम्मेदारी है तो गृह मंत्रालय की ज़रूरत क्या है?
कुल मिला कर ये कहा जाए कि ये धमाके इन्हीं दोनों पार्टियों बीजेपी और कांग्रेस के दोगलेपन की वजह से हुए हैं तो ग़लत नहीं होगा. देश और राज्यों में लंबे समय इन्हीं दोनों दलों का राज रहा है. समाज को बांटने में और आतंकवाद को बढ़ावा देने में इन्हीं दोनों पार्टियों का हाथ है और ऐसे में कई बार लगता है कि ये देश सच में भगवान भरोसे ही चल रहा है.