सियासत में मूर्खों की कमी नहीं है और सत्ता में ताकतवर ओहदों पर बैठे ये मूर्ख बहुत घातक होते हैं। ऐसे ही एक मूर्ख हैं गुलाम नबी आजाद। बेहद संवेदनशील राज्य जम्मू कश्मीर में उनकी सरकार ने कुछ दिन पहले अमरनाथ श्राइन बोर्ड को १०० एकड़ जमीन देने का संवेदनशील फैसला लिया। इस फैसले के तुरंत बाद हंगामा शुरू हो गया। पूरे राज्य में हिंसा भड़क उठी। श्रीनगर सुलगने लगा। एक हफ्ते तक चली हिंसा में चार लोग मारे गए, सैकड़ों घायल हुए। पीडीपी ने सियासी दांव फेंका कहा फैसला वापस नहीं लिया गया तो वो सरकार से समर्थन वापस ले लेगी। आखिर गुलाम को भी झुकना पड़ा और उन्होंने अपना फैसला वापस ले लिया। अमरनाथ श्राइन बोर्ड को दी गई जमीन अब पर्यटन विभाग के नाम होगी। श्रद्धालुओं को सुविधा मुहैया कराने का जिम्मा सरकार संभालेगी।
पहली नज़र में लगता है कि बात जहां से शुरू हुई थी अब वहीं पहुंच चुकी है। जम्मू कश्मीर में आया उबाल थम जाएगा। हिंसा का दौर खत्म हो जाएगा। सबकुछ पहले जैसा होगा। लेकिन ऐसा नहीं है। गुलाम सरकार के उस फैसले ने काफी कुछ बदल दिया है। इसने पहले से ही जूझ रही कांग्रेस की मुश्किलें बढ़ा दी हैं ... धर्मनिरपेक्ष ताकतों को कमजोर कर दिया है और बीजेपी को बैठे बिठाए एक बड़ा मुद्दा दे दिया है। ऐसा मुद्दा जिस पर वो नफ़रत की सियासत को विस्तार दे सकेगी। यकीन मानिये उसके नेता इस ओछी सियासत में माहिर हैं। एक बार फिर उन्होंने इसकी तैयारी शुरू कर दी है और जम्मू कश्मीर के बाद अब पूरे देश को मूर्ख गुलाम के फैसले के दंश भोगने के लिए तैयार रहना चाहिये।
3 comments:
गुलाम तो महारानी के फरमाबर्दार है। बस हुक्म बजा रहा है महरानी का।
इस बात के बहुत गंभीर परिणाम होने की आशंका है।
दुर्भाग्यपूर्ण फैसला है।
बिल्कुल सत्य कह रहे हैं: बीजेपी को बैठे बिठाए एक बड़ा मुद्दा दे दिया है। ऐसा मुद्दा जिस पर वो नफ़रत की सियासत को विस्तार दे सकेगी।
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