Tuesday, July 22, 2008

पूरे देश को नंगा कर दिया

आज संसद में जो कुछ भी हुआ, वह बेहद घिनौना था. बीजेपी के तीन सांसद अशोक अर्गल, फग्गन सिंह कुलस्ते और महावीर भगौड़ा ने लोक सभा के पटल पर नोटों से भरा बैग रखा. उसके बाद बैग से नोटों की गड्डियां निकाल कर कैमरे के सामने दिखाया. फिर पूरे देश और दुनिया को चीख चीख कर समाजवादी पार्टी के महासचिव अमर सिंह और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के राजनीतिक सलाहकार अहमद पटेल ने उन्हें खरीदने की कोशिश की. ये एक करोड़ रुपये उन्हें बतौर एडवांस दिये गए हैं ... आठ करोड़ रुपये और बाद में दिये जाने हैं.

बीते दस दिन से हम सुनते आ रहे थे कि सांसद खरीदे और बेचे जा रहे हैं, डराए-धमकाए जा रहे हैं. लेकिन अब तो वो नंगापन सबके सामने है. ये सिर्फ हमारे सांसदों का नंगापन नहीं है. बल्कि ये वो चेहरा है जिससे हम हर रोज रू-ब-रू होते हैं और आंख मूंद कर गुजर जाते हैं. इस अंदाज में कि जैसे कुछ हुआ ही नहीं है. लेकिन आज तो हम पलकें बंद करेंगे तो भी संसद का वो घिनौना दृश्य आंखों में कौंधता रहेगा और वो तस्वीरें हमें बार-बार याद दिलाती रहेंगी कि आज सिर्फ हमारे सांसद और हमारी संसद नंगी नहीं हुई है बल्कि पूरे देश को बेपर्दा कर ... कोठे पर बिठा दिया गया है. और सफेद कपड़े पहने चंद लोग उसकी बोली लगा रहे हैं... कह रहे हैं खरीद सको तो खरीद लो ... ये देश बिकाऊ है.

बीजेपी सांसदों के आरोपों में कितना दम है. ये जांच का विषय है. अमर सिंह और अहमद पटेल दोषी हैं या फिर ये उन्हें फंसाने की साज़िश है, उस सच से पर्दा उठना बाकी है. लेकिन उस सच से इतर एक सच ये भी है कि देश की संसदीय प्रणाली की आत्मा मर चुकी है. सिर्फ संसदीय प्रणाली ही क्यों हमारे और आपके भीतर भी बहुत कुछ मर चुका है. शायद यही वजह है कि आज इस घटना के बाद भी कहीं कुछ नहीं रुका. ये मुर्दा कौम अपनी रफ्तार से चलती रही. लोग आंसू बहाने की जगह हंसते रहे.

6 comments:

Unknown said...

सच में ये संसदीय इतिहास का सबसे काला दिन हैं. अब तक हमने होटल और घर में सांसदों को घूस लेते कैमरे पर देखा था. लेकिन आज जिस तरह संसद में नोट उछाले गए ... सिर शर्म से झुक गया है.

समयचक्र said...

ये संसदीय इतिहास का सबसे काला दिन हैं.

Anil Pusadkar said...

afsos hum isi loktantra ka hissa hai

Udan Tashtari said...

बेहद निन्दनीय..अफसोसजनक..दुखद.

Rajesh Roshan said...

सब कुछ गडमड सा है.... इस नोट को लेकर इतनी खबरे हमारे सम्पादकीय विभाग में चल रही है की क्या कहू.... १० लोग ११ बातें.....

दिवाकर प्रताप सिंह said...

देश और लोकतंत्र के हित के लिये 'रिश्वत-प्रकरण' की सच्चाई देश के सामने आना आवश्यक है। आरोप सच है या झूठ, दोनों ही सूरतों मे इस मामले का खुलासा होना ही चाहिए, ताकि लोकतंत्र और संसद के प्रति जनता का विश्वास बना रहे।

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